नई दिल्ली:- 13 मार्च 2011,की शाम मावलंकर सभागार में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास द्वारा आयोजित ‘रवीन्द्र सांस्कृतिक महोत्सव’ में विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक पदमविभूषण पंडित बिरजू महाराज की उपस्थिति में उनकी शिष्याओं द्वारा एक के बाद एक यादगार प्रस्तुतियों ने मौजूद दर्शकों का मन मोह लिया। तबले की थाप, घुंघरुओं की झंकार और गीत-संगीत के मधुर स्वर से सजी इस शाम में देश के महापुरुषों और क्रांतिकारियों को याद किया गया। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय ‘रवीन्द्र सांस्कृतिक महोत्सव’ का उदघाटन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बी बी भट्टाचार्य ने दीप जलाकर किया। यह महोत्सव गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की 150 वी जयंती वर्ष के शुभ अवसर पर आयोजित किया गया है, जो देश भर में न्यास द्वारा आयोजित किये जा रहे हैं आयोजनों का हिस्सा है।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की अमर रचना ‘गीतांजली’ पर आधारित नृत्य नाटिका की कलाकारों द्वारा शानदार प्रस्तुति हुई। इस अवसर पर पंडित बिरजू महाराज की पुत्री ममता महाराज, शिष्या शाश्वती सेन, सुश्री नाटलिका(अमेरिका), ईभा, परख मदांध, पायल उपाध्याय, सोनाली राय, नीलिमा बेरी एवं अन्य ने मनमोहक प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे दर्शकों एवं कला-संस्कृति प्रेमियों ने कार्यक्रम को खूब सराहा।
इसके पूर्व दिल्ली विरासत शोध एवं प्रबंधन संस्थान के प्रो. आनंद वर्द्धन ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता अध्यात्म एवं रहस्यवाद की सुललित अभिव्यक्ति है, वहीँ दिनकर का काव्य राष्ट्रीय चेतना का ओजस्वी उदबोधन। मंच पर उपस्थित सभी वक्ताओं ने विश्वकवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर एवं अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल का भारत की स्वतंत्रा में अनूठे योगदान के बारे में विस्तार से बताया।
न्यास के अध्यक्ष, नीरज कुमार ने अथितियों का स्वागत करते हुए कहा कि गुरुदेव का साहित्य मानवता के लिए अमूल्य निधि है। इस वर्ष न्यास देश के विविध भागों में गुरुदेव की स्मृति में सांस्कृतिक समारोह का आयोजन कर रहा है। इस श्रृंखला का आरंभ विश्व विख्यात नालंदा विश्वविद्यालय बिहार के धरोहर स्थल से छठ पूजा 2010 के अवसर पर हुआ था। दिल्ली का यह आयोजन इस श्रंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
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